वीर सावरकर — 1
बेड़ियों में बद्ध सावरकर ने हँसते हुए अंग्रेजी में उससे कहा, “नियति ने मुझे और तुम्हें पुन: मिलाया है जॉन। तुम्हें नासिक के भगूर गाँव की उस साँझ की स्मृति होगी, जब तुम ने गाँव के खेलते हुए बच्चों के हाथ से एक असि छीनी थी और कहा था यदि यह पूर्वजों की पराक्रमी असि तुम्हारी है तो कुछ पराक्रम कर दिखाओ! तो कहो मेरा पराक्रम कैसा लगा है तुम्हें?