(Bathukamma Boddemma) Tiny lamps लघु दीप , पिछली कड़ियाँ : 1 , 2 , 3 , 4, 5, 6 , 7, 8, 9, 10, 11 , 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18 से आगे …
Bathukamma Boddemma बतुकम्मा एवं बोड्डेम्मा। लोकाचार निभाती स्त्रियाँ जाने कितनी पुरातन स्मृतियों को जीवित रखती हैं। तेलंगाना एवं अन्य कुछ तेलगू क्षेत्रों में दो ऐसे पर्व हैं जो पूर्णत: स्त्रियों द्वारा मनाये जाते हैं, पुरुषों का योगदान सामग्री आदि के प्रबंध तक सीमित रहता है।
बतुकम्मा शारदीय नवरात्र के समय ही मनाया जाता है। बतुकम्मा का अर्थ होता है – जीवंत देवी माता। चोल राजा धर्मअङ्गद की पुत्री बतुकम्मा से भी इस पर्व का सम्बंध जोड़ा जाता है जो पुष्पप्रिया थी। मंदिर शिखरों के आकार में विविध प्रकार के पुष्पों से बतुकम्मा बनाया जाता है। गीत गाती स्त्रियाँ उनके चारो ओर नृत्य करती हैं। यह वर्षा ऋतु के समापन का पर्व है। देखिये इसका आयोजन :
इसके पश्चात सन्तान एवं नव सृजन का पर्व बोड्डेम्मा मनाया जाता है जो शरद आगमन का स्वागत पर्व होता है। पूर्णत: देवी केंद्रित इन पर्वों में कुमारी कन्यायें अच्छे वर की प्राप्ति हेतु प्रार्थना करती हैं।