Little by little and bit by bit छोटे छोटे हजार दीप
सुभाषित
पुराणमित्येव न साधु सर्वं, न चापि काव्यं नवमित्यवद्यम़्।
सन्त: परीक्ष्यान्यतरद्भजन्ते, मूढ: परप्रत्ययनेयबुद्धि:॥[मालविकाग्निमित्रम्, कालिदास]
पुरानी होने से ही न तो सभी वस्तुएँ अच्छी होती हैं और न नयी होने से बुरी तथा हेय। विवेकशील व्यक्ति अपनी बुद्धि से परीक्षा करके श्रेष्ठकर वस्तु को अंगीकार कर लेते हैं और मूर्ख लोग दूसरों द्वारा बताने पर ग्राह्य अथवा अग्राह्य का निर्णय करते हैं।
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छोटे छोटे हजार दीप
प्रत्येक जीवन एक धारा का प्रवाह है, इस विश्वास के साथ केरल के करीमरम्थोडू की समाहर्ता आर. गिरिजा ने अपने प्रयासों से गत सप्ताह 13 वर्षों से मृत एक प्राकृतिक सोते को पुन: प्रवाही कर दिया। अरन्मूल पुञ्च क्षेत्र के धान के खेतों के चहुँओर बहने वाली इस प्रचण्ड जल धारा को एक निजी विमानपत्तन परियोजना हेतु पाट दिया गया था। उच्च न्यायालय का आदेश होते हुये भी राज्य का प्रशासनिक तंत्र विभिन्न विभागों के आपसी सहयोग के अभाव एवं अन्य अड़चनों के कारण यह काम कर नहीं पा रहा था।
जिलाधिकारी सुश्री गिरिजा ने तीन विभागों केरल राज्य परिवहन प्रकल्प, रेलवे एवं केरल जल प्राधिकरण को प्रयास करके इस हेतु सहमत कर लिया कि निकाली गयी मिट्टी का वे अपने प्रकल्पों में उपयोग करेंगे। केरल में निस्तारण एक बड़ी समस्या है।
इस समन्वयन से राजस्व में ₹8.8 लाख की वृद्धि तो हुई ही, एक जल स्रोत को पुनर्जीवन भी मिला।
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छोटी गहरी बातें
उत्तरी इङ्ग्लैण्ड के लीड्स नामक नगर मेंं निर्धनता के कारण 10 वर्ष से अधिक आयु की बहुत सी लड़कियाँ माहवारी के समय प्रति माह एक सप्ताह विद्यालय नहीं जातीं। विकसित देश ब्रिटेन में भी ऐसा है। इस ‘Period Poverty’ से छुटकारा पाने के लिये सरकार पर दबाव बनाने हेतु आंदोलन आरम्भ किया गया है जिसका उद्देश्य निर्धन किशोर लड़कियों को नि:शुल्क सैनिटरी पैड उपलब्ध कराना है। ऐसे समाचार भी हैं कि वहाँ ऐसी लड़कियाँ टॉयलेट पेपर एवं समाचार पत्र चुरा कर उन्हें पुराने मोजों में रख माहवारी के समय प्रयोग में लाती हैं।
क्या भारत में भी ऐसा है कि माहवारी के कारण उन दिनों में लड़कियाँ विद्यालय नहीं जातीं?
Little by little and bit by bit