Tiny lamps लघु दीप , पिछली कड़ियाँ : 1 , 2 , 3 , 4, 5, 6 , 7, 8, 9, 10
सुभाषित
कर्पूरधूलिरचितालवाल: कस्तूरिकापङ्कनिमग्ननाल:।
गंगाजलै: सिक्तसमूलवाल: स्वीयं गुणं मुञ्चति किं पलाण्डु:॥चाहे क्यारी कपूर के चूरे की बना दें, मिट्टी के स्थान पर कस्तूरी में बो दें, जड़ों को गङ्गा जल से सींचें, पलाण्डु अर्थात प्याज अपना दुर्गन्ध नहीं तजती। (दुष्ट का स्वभाव परिवर्तन असम्भव ही है!)
न कश्चिदपि जानाति किं कस्य श्वो भविष्यति।
अत: श्व: करणीयानि कुर्यादद्यैव बुद्धिमान् ॥कल किसका क्या होगा कोर्इ नहीं जानता, अत: बुद्धिमान लोग कल जो करना होता है, उसे आज ही करते हैं अर्थात काम कल पर नहीं टालना चाहिये।
[अमरकोश में श्व का अर्थ आने वाला कल है एवं उससे परे वाले दिन को परश्व कहा गया है, ‘परसो’ शब्द का तत्सम परश्व है।]मनस्येकं वचस्येकं कर्मण्येकं महात्मनाम्।
मनस्यन्यत् वचस्यन्यत् कर्मण्यन्यत् दुरात्मनाम्॥महान जन मनसा वाचा कर्मणा एक होते हैं अर्थात जो मन में होता है, वही कहते हैं, वही करते हैं। दुष्ट प्रकृति के जन के मन में कुछ अन्य होता है, कहते कुछ अन्य हैं एवं करते दोनों से भिन्न हैं!
शरदि न वर्षति गर्जति वर्षति वर्षासु नि:स्वनो मेघ:।
नीचो वदति न कुरुते न वदति सुजन: करोत्येव॥शरद ऋतु के मेघ गरजते हैं, बरसते नहीं। वर्षा ऋतु के मेघ शान्त रहते हुये बरसते हैं। नीच मनुष्य बोलता है, करता नहीं। सज्जन मनुष्य करते हैं, बोलते नहीं।
विपदि धैर्यमथाभ्युदये क्षमा, सदसि वाक्पटुता युधि विक्रम:।
यशसि चाभिरूचिर्व्यसनं श्रुतौ, प्रसिद्धमिदं हि महात्मनाम्॥विपत्ति में धैर्य, अभ्युदय में क्षमा, सभा सदन में वाक्पटुता, युद्ध में पराक्रम, यश में अभिरुचि, ज्ञान का व्यसन; ये महात्माओं के प्रसिद्ध गुण हैं।
अवध के पंछी चितेरे आजाद
नदियों, उपत्यका, पर्वत, वन प्रांतर, तीर्थों, विविध जीवों, पुरातात्विक अवशेषों, जीवाश्म आदि आदि से वह क्षेत्र समृद्ध है जिसे ‘हिन्दी’ कहा जाता है। अन्य भारतीय क्षेत्रों की तुलना में इन सबके प्रति शिक्षित हिन्दी जन की उदासीनता आश्चर्य में डालती है। ऐसे में आशा की किरण बने आजाद सिंह अनूठा काम कर रहे हैं।
अवध क्षेत्र के लखनऊ विश्वविद्यालय से जंतु विज्ञान में परास्नातक आजाद सिंह पिछले 25 वर्षों से औषधि विपणन के क्षेत्र में कार्यरत हैं। जीविका कार्यक्षेत्र से इतर, जब उन्हों ने वन्यजीवन एवं छायाचित्रकारी के प्रति अपने उत्कट अनुराग एवं झुकाव को पहचाना तो रुके नहीं रहे, चल पड़े। प्रकृति की सम्मोहक शक्तियों ने उन्हें अब एक ‘पक्षीप्रेमी, वन्यजीवन फोटोग्राफर एवं संरक्षण धर्मी’ के रूप में स्थापित कर दिया है।
उनकी यात्रा ‘गौरैया संरक्षण अभियान Sparrow Conservation Mission’ से प्रारम्भ हुई। पर्यावरण क्षरण के प्रति वह चिन्तित थे एवं विलुप्त होने की स्थिति में आ चुकी विविध जन्तु प्रजातियों के संरक्षण प्रति उनमें उत्साह था। तब से वह विविध मञ्चों पर जागृति एवं जन सम्पर्क अभियानों में पूरी लगन से सक्रिय हैं। स्वभावत: ही वह संवाद-कुशल हैं तथा उन्हों ने स्वस्थ पर्यावरण एवं वन्यजीवन के प्रति अनेक युवाओं एवं किसानों में सकारात्मक चेतना जगाई है। वन विभाग के साथ मिल कर उन्हों ने फैजाबाद में सङ्कटग्रस्त पक्षियों के उद्धार में भी योगदान किया है।
आकाशवाणी फैजाबाद के माध्यम से उन्हों ने विविध विषयों पर प्रभावी वार्तायें की हैं जिनमें से कुछ निम्नवत हैं :
⦁ लुप्त होते गिद्धों का पर्यावरण पर प्रभाव
⦁ सर्प हमारे पर्यावरणीय मित्र
⦁ लुप्त होती गौरैया का पर्यावरण पर प्रभाव
⦁ लुप्तप्राय पक्षियों के संरक्षण हेतु हो रहे प्रयास
⦁ वन्य जीवों का संरक्षण
आजाद सिंह विविध कार्यवृत्तों में भाग लेते रहे हैं यथा भारतीय प्राणीविज्ञान संरक्षण (Zoological Survey of India), भुबनेश्वर के तत्वावधान में सर्प उद्धार, नैनीताल में पक्षी संरक्षण, कटरनीयाघाट वन्यजीवन अभयारण्य एवं पीलीभीत बाघ अभयारण्य में मानव एवं वन्यजन्तुओं में संघर्ष निवारण।
‘अन्तर्जालिकों Netizens’ में जागृति प्रसार हेतु अपनी व्यस्त चर्या से समय रक्षित कर वह ‘मघा’ के लिये नियमित लिख रहे हैं। उनके द्वारा लिखी जा रही शृंखला ‘अवधी चिरइया’ में अवध क्षेत्र के साथ साथ भारत के अन्य क्षेत्रों में भी पाये जाने वाले विविध पक्षियों के बारे में मय चित्र वैज्ञानिक एवं पौराणिक ज्ञान सहेजा जा रहा है।
आजकल वह सरयू कछार एवं समस्त अवध में पाये जाने वाले पक्षियों पर कार्यरत हैं। उनका ब्लॉग ajadbird.blogspot.com है एवं इंस्टाग्राम पर वह singhajad नाम से सामग्री प्रस्तुत करते रहते हैं। उनका ई मेल सम्पर्क पता निम्न है:
पद्मा का प्रेसर कुकर
“नाटकीय परिवर्तनों का काल है, जिसमें संसार उनका होगा जो नवोन्मेषी हैं।”
– टी. टी. जगन्नाथन
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान से अभियांत्रिकी स्नातक श्री जगन्नाथन उस प्रसिद्ध ‘टी टी के’ समूह के अध्यक्ष हैं जिसे ‘प्रेस्टिज कुकर’ के लिये जाना जाता है।1928 में तत्कालीन मद्रास में स्थापित इस समूह को स्वतंत्र भारत के पहले भ्रष्टाचार प्रवाद से जुड़ा बताया जाता है किन्तु परिवार केंद्रित यह समूह अब अपनी जिजीविषा एवं तीव्र गति से परिवर्तित होते व्यापार काल में स्वयं को लगभग ध्वंस से उठा कर वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित करने के लिये जाना जा रहा है।
अकादिमक क्षेत्र में कुछ करने की स्पृहा रखने वाले श्री जगन्नाथन मन मार कर ही अपने इस पारिवारिक व्यापार में लगे थे। ऋण के बोझ तले दबा यह समूह नष्टनिधि हो एक समय डूबने की स्थिति में आ चुका था। 1991 ई. में आर्थिक उदारीकरण आरम्भ होने के साथ ही यह समूह बुझी हुई राख की उस चिङ्गारी सा सिद्ध हुआ जो विशाल अग्नि का रूप ले लेती है।
आज यह समूह ‘प्रेशर कुकर’ निर्माण में विश्व में दूसरा स्थान रखता है एवं एक अरब डॉलर वाली कम्पनी भी है। 2022 ई. तक इसने विश्व के सबसे बड़े ‘प्रेशर कुकर’ निर्माता होने का लक्ष्य रखा है।
अपनी पुस्तक ‘Disrupt and Conquer : How TTK Prestige Became a Billion Dollar Company’ में श्री जगन्नाथन ने कम्पनी के ‘फिनिक्स’ चिड़िया की भाँति पुनर्जीवित होने की सफलता का सबसे अधिक श्रेय अपनी माँ पद्मा नरसिंहन को दिया है।
भारतीय परिवार संस्था की व्यापारिक सफलता का यह एक बड़ा उदाहरण है। ऐसी सफलताओं के पीछे पद्मा जी की भाँति जाने कितनी अनाम स्त्रियों का संयम, उद्योग, सहयोग एवं उत्कट विश्वास होता है जो श्रेय लेने को क्षुद्र मानती हैं। भारतीय पारिवारिक औद्योगिक घरानों का इतिहास लिखा जाय तो जाने कितनी ऐसी महिलाओं का प्रेरक सच सामने आयेगा।
हम ऐसा इतिहास क्यों नहीं लिखते?