स्वर, वर्ण, मात्रा, छन्द, ताल, श्रुति – एक अस्फुट परिचय

आपने देखा होगा, वेदपाठी पाठ करते समय अपने हाथों को ऊपर नीचे करते रहते हैं। स्पष्ट सी बात है, संभवत: आपको पता हो कि वे चढ़ाव एवं उतार के अनुसार हाथों को हिलाते हैं। संगीत के सात स्वरों के बारे में भी आप ने सुना होगा, षड्ज, ऋषभ, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत और निषाद, जिनके…

भारतीय जन और ‘सुरक्षा’

आज भारतीय जन को ‘सुरक्षा’ के प्रति सजग हो समीक्षा एवं कार्रवाई करने की आवश्यकता है। जीवनशैली, मान्यतायें, क्रियाकलाप एवं सबसे अधिक चिंतन पद्धति विषाक्तता से ग्रसित हो चुके हैं। चेतिये! समय की पुकार तीव्र है।

गायें, वृषाकपि, एकशृंग, वाराह और सरस्वती सिंधु (हड़प्पा) की प्रतीक विद्या

यास्क द्वारा ‘गौ’ के दिये गये अर्थों का अनुक्रम देखें तो हमें भारत में गाय की पवित्रता से सम्बंधित प्रश्न का उत्तर मिल जाता है। गाय पृथ्वी की पवित्रता का प्रतीक है। यवनों ने भी पृथ्वी को गाय के प्रतीक में ही देखा, गाइया।

पश्च दृष्टि भ्रम, योजना भ्रांति, आशावादी पक्षपात, आसक्ति : सनातन बोध – 12

सनातन बोध : प्रसंस्करण, नये एवं अनुकृत सिद्धांत – 1  , 2, 3, 4 , 5 , 6, 7, 8, 9 , 10, 11से आगे  पिछली कड़ी में हमने व्यावहारिक अर्थशास्त्र पर सांख्यिकी के प्रभाव को देखा, जिसमें हमने कई विशेषज्ञों के अपने स्वयं के अधूरे ज्ञान से अनभिज्ञ रहने की बात की थी। पश्च दृष्टि भ्रम (hindsight…

आदिकाव्य रामायण से – 18 : सुंदरकाण्ड [विवेकः शक्य आधातुं]

इस सुषमा बीच भी मारुति चैतन्य थे। उन्हें रावण फुफकारते नाग समान लगा – नि:श्वसन्तम् यथा नागम् रावणम्, उद्विग्न और सभीत हो पीछे हट गये। वह वैसा ही लग रहा था जैसे स्वच्छ स्थान पर ऊड़द का ढेर पड़ा हो, जैसे गङ्गा की धारा में कुञ्जर सोया हो, माष राशिप्रतीकाशम् नि:श्वसन्तम् भुजङ्गवत्। गाङ्गे महति तोयान्ते प्रसुप्तमिव कुञ्जरम्॥

हम भारतीय लोग अपने वित्तीय जीवन को नष्ट करने के लिये

वित्तीय अनुशासन के अभाव में हम भारतीय लोग अपने ‘वित्तीय जीवन’ को नष्ट करने के लिये क्या-क्या नहीं करते हैं!  जब भी हम रूपये पैसे की बातें करते हैं तो ‘हम भारत के’ लोगों का मन रोता है, क्योंकि हम अपने धन के बारे में कभी भी किसी से भी बात ही नहीं करना चाहते…

Rohingya Muslims रोहिंग्या मुसलमान

Rohingya Muslims रोहिंग्या मुसलमान : भारत के विरुद्ध जिहादी ट्रॉजन हॉर्स

1235 ई.। नालंदा विश्वविद्यालय अपनी पूर्व कीर्ति और वैभव की जर्जर स्मृति-मात्र रह गया था। उसके बचे भग्नावशेषों में गया के राजा बुद्धसेन और ओदंतपुरी निवासी ब्राह्मण शिष्य जयदेव के अनुदानों से 70 शिष्यों के साथ भदंत राहुल श्रीभद्र शिक्षा दीक्षा की परम्परा को जीवित रखे हुये थे। पहले के इस्लामी तुर्क आक्रमण से बचे…

अवधी चिरइयाँ : पीलक Oriolus kundoo

पीलक पूर्वोत्तर भारत को छोड़कर हमारे देश में प्रायः सभी स्थानों पर पाये जाते हैं। यह द्विरूपी (Dimorphic) द्विरूपी पक्षी है। पीलक पूर्वोत्तर भारत को छोड़कर हमारे देश में प्रायः सभी स्थानों पर पाये जाते हैं। हिमालय में ये 2000 मीटर की ऊँचाई तक पाये जाते हैं।

आदिकाव्य रामायण से – 17 : सुंदरकाण्ड [मार्गमाणस्तु वैदेहीं सीतामायतलोचनाम्]

आदिकाव्य रामायण से – 16 से आगे … गंध प्रतिमा अनिल द्वारा प्रेरित हो अंत:पुर में हनुमान जी के प्रवेश से पहले वाल्मीकि ने सुंदर प्रयोग किये हैं। उस भवन का विस्तार बताने के लिये ‘आयत’ शब्द का प्रयोग करते हैं, एक योजन लम्बा और आधा योजन चौड़ा – अर्धयोजनविस्तीर्णमायतं योजनं हि तत्! 1:2 का…

अधूरी सूचना की सनसनी, सनातन बोध : प्रसंस्करण, नये एवं अनुकृत सिद्धांत – 11

अधूरी सूचना की सनसनी : लोगों की धारणायें प्राय: उनकी भावनाओं से, पारंपरिक अर्थशास्त्र की लाभ-हानि (risk reward) को सोचे बिना, निर्धारित होती हैं।

गर्देज़ के गणेश : दाङ्ग से कुभा तक की यात्रा का रहस्य खोलते हुये

कुभा, कु +भा। जिस नदी के जल की आभा मटमैली हो, कुभा, आज की काबुल नदी। कुभा से लगे नगर काबुल की वीथियों में घूमता मैं ऋग्वैदिक ऋषियों श्यावाश्व और प्रैयमेध का स्मरण करता हूँ, समय ने इस नगर पर ध्वंस के इतने प्रहार किये हैं कि इसकी कीर्ति कुभा के जल सी मटमैली हो…

National Interest – Guṇatrayī Youth

Youth must have power and strength. The focus should be on getting both Śakti (शक्ति) and Bala (बल)! Śakti (physical strength and outward skills) and Bala (spiritual strength, mental strength, purity, ethics, self-control) are different. You cannot gain that in modern gyms. You must enroll in Ākhāḍā (आखाड़ा) or sports ground! Bala meant something of the Sūkṣma Śarīra (सूक्ष्म शरीर) ; not merely of the gross body or Sthūla Śarīra (स्थूल शरीर).

आदिकाव्य रामायण से – 16 : [इत एहि इति उवाच इव तत्र यत्र स रावणः]

नथुनों में पेय और भक्ष्य अन्न पदार्थादि की दिव्य गंध के झोंके प्रविष्ट हुये जैसे कि स्वयं अनिल देव ने गंध रूप धर लिया हो। मधुर महा सत्त्वयुक्त गंध युक्त देव पुकार कर बता रहे थे – यहाँ आओ, यहाँ आओ! रावण यहाँ है। हनुमान को लगा जैसे कोई बंधु अपने बहुत ही प्रिय बंधु से कह रहा हो!

ऊर्जा चक्र, सनातन बोध : प्रसंस्करण, नये एवं अनुकृत सिद्धांत – 10

हम यदि बातों को अपने व्यवहार में लेकर आयेंं तो धीरे धीरे हमारी भावनायेंं उस स्तर पर स्वतः ही आ जाती हैं – ‘करत करत अभ्यास ते’ वाली बात। ऐसी कई बातें हमारी सोच को अनजाने प्रभावित करती रहती हैं। आधुनिक निर्णय शास्त्र (decision making) में प्रयुक्त होने वाले इस ‘नये सिद्धांत को पढ़ते हुए – संगति की सीख, वातावरण का प्रभाव – चाणक्य का ‘दीपो भक्षयते ध्वांतम कज्जलम च प्रसूयते’ या ‘तुलसी संगति साधु की’ जैसी कितनी पढ़ी हुई बातें याद आती हैं।

अवधी चिरइयाँ : टकाचोर Dendrocitta vagabunda

टकाचोर प्रवासी भारतीय पक्षी है जो पाकिस्तान, बँगलादेश में भी पाया जाता है, श्री लंका में नहीं पाया जाता। मुटरी हमारे देश में प्रायः सभी स्थानों पर पाई जाती है| हिमालय में 7000 फुट की ऊँचाई तक पाई जाती है। जंगल, उद्यान आदि स्थानों में रहने वाली यह चिड़िया मानव बस्ती में आती जाती रहती है। इसे घने वन प्रिय नहीं हैं। लम्बी दुम के कारण यह पेड़ों पर ही रहती है और प्राय: जोड़े में दिखती है। यह बहुत ही लजालु चिड़िया है इसलिये प्राय: पेड़ों की पत्तियों में छुपी रहती है, चित्र लेना कठिन होता है।

ऋतुगीत : झूम उठते प्राण मेरे

ऋतुगीत : झूम उठते प्राण मेरे त्रिलोचन नाथ तिवारी मुग्ध हो कोमल स्वरों में, मैं बजाता बांसुरी, और, थिरक उठते चरण तेरे, झूम उठते प्राण मेरे॥ तुम हमारी तूलिका और मैं तेरा भावुक चितेरा, भावनाओं में तुम्हारी, रंग भरते प्राण मेरे॥०॥ नाचती बन मोरनी तूं, थाम कर मेरी उंगलियां। मैं तेरी हर भंगिमा पर, लुटा…

कहानी सी, नमस्ते

“हर शाम के जैसे मैं अपने ऑफिस में बैठा था। ईश्वर की दया से पिछले कुछ महीने से काम ठीक-ठाक चल रहा था।  सिर खपाई तो पहले जैसी ही थी लेकिन सप्ताह में औसतन एक डील  मैच्योर भी हो रही थी। मकान खरीदने और बेचने वालों से इतना कमीशन आ जाता था कि दाल-रोटी अच्छे…

प्रेम-पंथ

“क्षमा भ्रातृजाया! यदि इस अधम से अनजाने कोई अपराध हो गया हो तो अन्य कोई भी दंड दे लें, किन्तु…! अरे! मैंने दो – दो प्रेमी – युगलों की पीड़ा बहुत निकट से देखी है. यह प्रेम – पंथ मुझ जैसे व्यक्तियों हेतु है ही नहीं! मुझे तो बस क्षमा ही करें भ्रातृजाया!”
एक उन्मुक्त हास्य से अलिंद आपूरित हो उठा. कार्तिक पूर्णिमा की चंद्रिमा आश्रम पर पसरी हुई थी. मनोरमा की उंगलियाँ वीणा के तारों पर थिरक रही थीं…. पिंग … पिंग.. बुंग… पिंग … पिंग.. बुंग….पिंग … पिंग.. बुंग….

पिहू Pheasant–Tailed Jacana

फोटो का स्थान: सरयू का कछार अयोध्या फैजाबाद उत्तर प्रदेश। फोटो का दिनांक: १६ अप्रैल, २०१७ Pheasant–Tailed Jacana वैज्ञानिक नाम (Zoological Name): Hydrophasianus Chirurgus हिन्दी नाम (Hindi Name): पिहू, पिहुया, जल मयूर, कमलपक्षी, चित्र बिलाई संस्कृत नाम (Sanskrit Name): जलमंजर,जलकपोत Kingdom: Animalia Phylum: Chordata Class: Aves Order: CHARADRIFORMES Family: JACANIDAE Genus: Hydrophasianus Species: Chirurgus Category:…